आज हम जानेंगे कि क्‍या कर्म भाग्‍य को बदल सकता है, तो इसका उतर है हॉ। कर्म और भाग्‍य दोनों जीवन के दो पहलू हैं, दोनों एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। एक तरह से कहा जाए तो दोनों एक-दूसरे के पुरक हैं। हमारे भाग्‍य में क्‍या है ये तो हम नहीं जानतें लेकिन हम कैसा कर्म करेंगें, ये हमें पता होता हैा तो क्‍यों नहीं हमें अच्‍छे कर्म कर के भाग्‍य को बदलने की कोशिश करनी चाहिए। हम जैसे-जैसे अच्‍छा कर्म करते जाऍगें हमारा भाग्‍य निश्चित ही बदलते जाऍगे। 


कहा जाता है कि हम जैसा भोजन करेंगे हमारा मन भी वैसा ही होगा। इससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि हम जैसा कर्म करेंगे आनेवाले भविष्‍य में उसके फल की प्राप्ति भी वैसी ही होगी। अच्‍छे कर्म हमें प्राकृतिक के नजदीक ले जाता है, जिससे हम प्राकृतिक में उपस्थित शक्तियों का अनुभव करने लगते हैं। हम जैसा कर्म करते हैं हमारा दिमाग भी वैसा ही सोचता है एवं हमारा दिमाग प्राकृतिक में उपस्थित वैसी शक्तियों को ही ग्रहण करने के लिए तैयार होता हैं । इसका प्रभाव अच्‍छे कर्म करनेवाले मनुष्‍य पर पड़ता है और यही वजह है कि कर्म भाग्‍य पर हावी हो जाता हैाइससे हमसभी कर्म के द्वारा भाग्‍य को बदल सकते हैं।




                               कर्म के द्वारा भाग्‍य को बदला जा सकता है

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