बासाहेब भीमराव अम्बेडर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 ई० में हुआ था | बाबासाहेब आंबेडकर जी बहुत ही लोकप्रिय,विधिवेता ,अथशास्त्री्,राजनीतिज्ञ एवं समाजसुधारक थे| डाॅ भीम राव अम्बेडकर जी बहुत ही प्रतिभाशाली छात्र थे। वे कोलंबिया, लंदन स्कूल ऑफ  इकोनाॅमिक्स दोनेा विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डाॅक्टरेट की उपाधियाॅ प्राप्त की थी तथा वे कुछ क्षेत्रों में शोध कार्य भी किए थे-जैसे- विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान विषयों में। उन्होने व्यवसायिक जीवन के आरंभ में प्रोफेसर रहे और वकालत भी किए , उनका अधिकतर समय राजनीतिक के कार्यो में ही बीता। इनका महत्वपूर्ण योगदान भारत की स्वतंत्रता के लिए प्रचार प्रसार , पत्रिका को प्रकाशित करने ,राजनीतिक अधिकारों एवं  दलितों के लिए सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत एवं भारत निर्माण में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। तो आइये जानते है , इनके विचारो के बारे में -


  • जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता हासिल नहीं कर लेते, कानून आपकों जो भी स्वतंत्रता देता है, वह आपके किसी काम की नहीं |
  • हिन्दू धर्म में विवेक, कारण और स्वतंत्रता सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइस नहीं है।
  • मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं। एक विचार को प्रचार प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की, नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते है। 
  • यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते है तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।
  • जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चाहिए।
  • कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूरी दी जानी चाहिए।
  • एक महान आदमी एक प्रतितिष्ठित व्यक्ति से इस तरह अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है। 
  • मैं ऐसे धर्म को मानता हूॅ, जो स्वतंत्रता, समानता अैार भाईचारा सिखाए।
  • हर वह व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि ‘एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता‘ को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना होगा कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता।

  • इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता एवं अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहाॅ जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थो को तब तक नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हों।
  • बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
  • समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा। 
  • शिक्षित बने, संघटित रहे और संघर्ष करें।
  • संविधान मात्र वकीलों का दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे जीवन का माध्यम है। 


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