स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 ई0 को हुआ था, इनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत था। ये वेदान्त के प्रसिद्ध और प्रभावशाली अध्यात्मिक गुरू थे। इन्होने सन् 1893 ई0 में अमेरिका में स्थित शिकागो महासम्मेलन में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किए। उन्होने ‘रामकृष्ण मिशन‘ की स्थापना की थी , जो आज भी कार्यशील है। इनके गुरू ‘रामकृष्ण परमहंस‘ जी थे। इनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। तो आइए जानते है, इनके महत्वपूर्ण विचारों को -


  • उठो, जागो और तब तक न रूकों। जब तक कि मंजिल प्राप्त न हो जाए।
  • हम वही है, जोे हमारे विचारों ने हमें बनाया है। इसलिए इस बारे में ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण है, विचार रहते हैं और वे दूर तक यात्रा करते हैं।

  • हमारा कर्तव्य है कि हम हर एक को अपने उच्चतम विचार को जीने के लिए संघर्ष करने के लिए प्रोत्साहित करें और साथ में सत्य को यथासंभव आदर्श बनाने के लिए प्रयास करें।
  • खुद केा कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
  • सत्य को हजार तरीकों से बताने के बाद भी हर एक सत्य ही होगा।
  • तुम्हे कोई पढ़ा नहीं सकता, कोई अध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुम्हे सबकुछ तुम्हारे अंदर से स्वयं सीखना है, आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं है। 
  • ब्रहमांड की सारी शक्तियाॅ पहले से ही हमारी है, एक हम ही है कि अपने आॅखों पर हाथ रख लेते है और फिर रोते है कि कितना अंधकार है। 
  • संसार एक विशाल व्यायामशाला है, जहाॅ हम स्वयं को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
  • शक्ति ही जीवन है, निर्बलता तो मृत्यु है। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है। 
  • यदि आपके सामने कोई समस्या ना आए, तो आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं। 
  • एक समय में एक काम करों, ऐसा करते समय अपनी पूरी ताकत लगा दो और बाकी सबकुछ भूल जाओं।
  • जब तक जीना है, तब तक सीखना है, क्योंकि -‘अनुभव‘ ही सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। 
  • जब तक आप स्वयं पर विश्वास नहीं करेंगे तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकतें।
  • हम वो हैं, जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते है। 
  • कुछ मत पूछों, बदले में कुछ मत मांगो। जो देना है वेा दो , वो तुम तक वापस आएगा, पर उसके बारे में अभी मत सोचों।

  • किसी की भी निन्दा नहीं करें, यदि आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं , तो जरूर बढ़ाएॅ। अगर नहीं बढ़ा सकते तो अपने हाथों को जोड़िये, अपने भाइयों को आर्शीवाद दीजिये और उन्हें उनके मार्ग पर जाने दीजिय।
  • बुद्धिमान व्यक्ति केा अपने पैरों पर दृढ़तापूर्वक खड़ा होकर कार्य करना चाहिए, धीरे-धीरे सबकुछ ठीक हो जाएगा।
  • जो तुम्हे कमजोर बनाता है-शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक उसे जहर की तरह त्याग करों।

ये स्वामी विवेकानन्द के विचार आज हमारे ‘युवाओं के लिए‘ बहुत ही महत्वपूर्ण है। तो इसे जानकर अपने जीवन में इसको धारण करें और सफलता पाये ।

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