अपराजिता- अपराजिता लता वाला एक फूल का पौधा होता है। जिसका प्रयोग औशधीय गुणों में भी किया जाता है। इसमें नीले या सफेद रंग के फूल फलते है। जो पूजा कार्य में भी प्रयोग किया जाता है। इसके कई सारे नाम से जाने जाते हैं, जैसे-अपराजिता (हिन्दी), विश्णुक्रान्ताए अष्वखुरा, गिरीकर्णी (संस्कृत) इत्यादि। इसमें मटर की तरह ही फलियाॅ लगती है, जिसके अंदर इसका बीज पाया जाता है। इसके फूल नीले सफेद होते है। इसके फूलों का प्रयोग विषेश रूप से काली पूजा और नवदुर्गा पूजा में किया जाता है। इसके फूल गर्मियों के कुछ समय को छोड़कर बाकी सभी मौसमों में फलते है।
तो आइए जानते हैं इसके औशधीय गुणों के बारे में-
अंडकोश वृद्धि- अपराजिता के बीजों को पीसकर गर्म कर लेप करने से अंडकोश की वृद्धि ठीक होती है।
खाॅसी- अपराजिता के बीजों को सेंककर, चूर्ण बनाकर उसमें 60 से 120 ग्राम गुड़ मिलाकर और थोड़ा सा सेंधानमक के साथ सेवन करने से खाॅसी ठीक हो जाती है और सांस की समस्या में भी लाभ मिलता है। इससे दस्त के साथ बलगम षरीर से बाहर निकल जाती है।
दाॅत दर्द- अपराजिता पौधे की जड़ की पेस्ट तैयार करें । इसमें काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर मुॅह में रखें। इससे दाॅत दर्द में आराम मिलता हैै।
अपामार्ग- अपामार्ग एक समान्य सा पौधा होता है, जिसमें छोटे-छोटे काॅटेदार एवं झाड़ीदार पौधा होता है। इसे चिरचिरी या चिरचिटा के नाम से भी जाना जाता है। इसका प्रयोग औशधीय जड़ी-बूटियों के रूप में किया जाता है। आयुर्वेद के ग्रंथों में इस पौधे द्वारा बनाए गए जड़ी-बूटी केा विषेश महत्व दिया गया है। इस पौधें के संपर्क में आने पर इसके बीज कपड़ों में पकड़ लेते हैं। इसे पौधे की जड़ बेलनाकार होती है। इसके पते लंबे होते हैं, इसके पतों पर रूओं की लंबी कोट होती है। इसका तना खोखला होता है। इसका प्रयोग बहुत सारी बिमारियों में किया जाता है। यह पौधा औशधीय गुणों से भरा होता है। इस पौधे से दातुन करने पर दाॅत पूरी तरह से स्वस्थ हो जाता है।
अपामार्ग में विभिन्न पोशक तत्व पाये जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद साबित होते है। तो आइए जानते है कि इन्हें प्रयोग कैसे करें-
वजन घटाने में- इस पौधें का प्रयोग वजन घटाने में किया जा सकता है। सुबह-षाम इसके काढें का सेवन करने से यह आपके वजन को नियंत्रि करता है। षरीर में उपस्थित कोलेस्ट्राॅल को कम करने में सहायक होता है। इसके अलावा यह वसा को भी कम करता है। जिससे वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है।
अस्थमा- इसका उपयोग अस्थमा रोगी के लिए भी किया जा सकता है। इसके जड़ी-बूटी में अस्थमा जैसी स्वषन समस्याओं का उपचार करने वाले गुण होते है। इसके काढें का सेवन नियमित रूप से कराने पर अस्थमा में काफी फायदा होता है।
तो ये थे अपराजिता और अपामार्ग में अंतर।
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