आज हमसभी सूर्यनमस्‍कार के बारें में जानेंगें। इस लेख में यह भी जानेंगें कि सूर्यनमस्‍कार कब , कैसे और किस तरह करना चाहिए ताकि इसका पूरा-पूरा लाभ्‍ हमारी स्‍वास्‍थ्‍य को मिल सकें। योग , आसन एवं प्रणायाम  सभी व्‍यक्तियों के लिए आवश्‍यक है। यह हमें मानसिक एवं शारिरीक सभी तरह से आरोग्‍य प्रदान करता हैा इनही आसनों में से एक है- सूर्यनमस्‍कार । सूर्यनमस्‍कार बारह आसनों का एक समावेश है , जिसे कर लेने से पूरे शरीर की व्‍यायाम हो जाती है। तो आइए जानते हैं इसके बारे में-

सूर्यनमस्‍कार कब करना चाहिए-

सूर्यनमस्‍कार सुबह सुर्योदय के समय खाली पेट ही करना चाहिए। इसे करने से पहले शौच से निवृत हो जाना चाहिए।


किस दिशा में करना चाहिए-

सूर्यनमस्‍कार करने के लिए सबसे अच्‍छी दिशा पूर्व है। सूर्यनमस्‍कार करते समय मुख पूर्व की तरफ हो तो सबसे अच्‍छा है। ऐसे आप उतर और पश्चिम दिशा को छोड़कर किसी भी दिशा में सूर्यनमस्‍कार कर सकते हैं।

सूर्यनमस्‍कार में कितने आसन होते हैं-

सूर्यनमस्‍कार में बारह आसन होते है। यह बारह आसनों का एक समावेश होता है। जिसके कर लेने से पूरे शरीर की व्‍यायाम हो जाती है। मात्र इस आसन के करने से पूरे शरीर को आरोग्‍य प्रदान होता है।

इस आसन को इस तरह से करें-





इस आसन के फायदे-

इस आसन के करने से स्‍मरण शक्ति बढ़ती है।

इस आसन के नियमित प्रयोग से ओज, तेज एवं बल की वृद्धि होती है।

इसके आसन को नियमित करने से पेट, हृदय , मस्तिष्‍क से संबंधित समस्‍त रोगों का उपचार होता है। एक तरह से कहा जाए तो इसके करने 
से शरीर की समस्‍त व्‍याधिया ठीक होकर शरीर हृष्‍ट-पुष्‍ट बनता है।

इस आसन से जंघा, पैर एवं हाथ की मांसपेशिया बहुत ही मजबूत हो जाती है।

इस आसन के करने से त्‍वचा संबंधी रोग ठीक हो जाते है।


 इस आसन में साव‍धानियां-

इस आसन को वैसे व्‍यक्ति ना करें जिन्‍हें कमर में तेज दर्द की समस्‍या हो। जिन्‍हें हार्निया की समस्‍या हो वो भी इस आसन को ना करें। दूसरे आसनों द्वारा इन समस्‍याओं को ठीक करने के बाद ही सूर्यनमस्‍कार आसन करें। किसी भी आसन को योग गुरू के सानिध्‍य में ही करें।

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